बेंगलुरु में पब्लिक ऑर्ट का सक्रिय व सचेत नजारा

बेंगलुरु में यह सुन, जान और देख कर सचमुच मुझे बड़ा विस्मय हुआ कि बढ़ती भागमभाग के बीच यहाँ पब्लिक ग्राफिक ऑर्ट का चलन खासा बढ़ा है, जिसमें युवा कलाकारों की संलग्नता का दिलचस्प नजारा प्रायः देखने को मिल जाता है । आम लोगों से मिली प्रतिक्रिया ने तो कलाकारों को पब्लिक ग्राफिक ऑर्ट के लिए प्रेरित व उत्साहित किया ही है, अब तो कुछेक ऑर्ट गैलरीज और स्वयंसेवी संस्थाएँ भी उन्हें सपोर्ट करने लगी हैं । बेंगलुरु के दक्षिण-पूर्व सबर्ब होसुर-सरजापुर रोड लेआउट - जो एचएसआर लेआउट के रूप में जाना/पहचाना जाता है, और जिसे बेंगलुरु के प्रमुख आईटी हब इलेक्ट्रॉनिक सिटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी देखा/पहचाना जाता है - में पब्लिक ग्राफिक ऑर्ट के कुछेक काम सहज ही ध्यान खींचते हैं । इन्हें बादल नन्जुंदास्वामी ने बनाया है । बादल सामाजिक-राजनीतिक रूप से एक बहुत सचेत और अत्यंत सक्रिय चित्रकार और शिल्पकार हैं ।
बेंगलुरु की सड़कों के गड्ढों की तरफ प्रशासन का ध्यान खींचने के लिए पिछले तीन-चार वर्षों में उन्होंने लगातार अपनी कला का बेहद रचनात्मक और जिदभरा काम किया है । अन्य कई कामों के साथ-साथ हसन में न्यू बस स्टैंड रोड के एक गड्ढे और उसमें भरे पानी को रोते हुए मोर के आँसुओं से भरा दिखाने वाला काम हो; खुले मेनहोल को यमराज के खुले मुँह के रूप में चित्रित करने का काम हो और या आरटी नगर की सुल्थानपाल्या मेन रोड के एक बड़े गड्ढे में मगरमच्छ तैराने का काम हो - बादल ने लोगों की खूब वाहवाही लूटी है । सुल्थानपाल्या मेन रोड में पानी का पाइप फटने से सड़क पर जो गड्ढा बना, वह प्रशासन की अनदेखी के चलते बढ़ता और आने-जाने वालों के लिए परेशानी का कारण बनता ही गया । प्रशासन को कुछ न करता देख बादल ने करीब सप्ताह भर की मेहनत और करीब छह हजार रुपए खर्च करके फाइबर का मगरमच्छ तैयार किया । बादल की इस सामाजिक जागरूकता और रचनात्मक सक्रियता ने बेंगलुरु में पब्लिक ग्राफिक ऑर्ट को लोकप्रिय बनाने तथा युवा कलाकारों को प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । 
बेंगलुरु में पब्लिक ग्राफिक ऑर्ट के कुछेक दृश्य :





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