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Showing posts from November, 2016

जब हम प्रकृति को देखते हैं तब क्या हम प्रकृति को देखते भी हैं ?

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पद्मश्री हकु शाह कला और अध्यात्म को पर्याय मानते हुए यकीन करते हैं कि कला दरअसल आध्यात्मिकता का उजागर होना है । अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया में प्रोफ़ेसर रहे हकु शाह ने बड़ौदा की एमएस यूनिवर्सिटी से कला की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की है । हालाँकि वह मानते हैं कि रचना आत्मबोध है, और इसे तर्क के परास में महदूद नहीं किया जा सकता है । उन्होंने कहा है कि वह बहुत छुटपन से ही हरेक जगह व स्थिति में चित्र देखा करते थे, और संसार को वह इसी भांति देखते रहे हैं । 1934 में गुजरात में सूरत जिले के गाँव वालोड में जन्मे हकु शाह ने देश-विदेश की कई कला-परियोजनाओं की संकल्पना व रचना में केंद्रीय भूमिका निभाई है, जिसके चलते उन्हें देश-विदेश के महान कला-चिंतकों तथा विद्धानों के साथ काम करने का मौका मिला । दुनिया की प्रतिष्ठित कलादीर्घाओं में अपने चित्रों की एकल प्रदर्शनियाँ कर चुके हकु शाह को पीयूष दईया ने 'स्वधर्म में जीने - सांस लेने वाले एक आत्मशैलीकृत व प्रतिश्रुत आचरण-पुरुष' के रूप में पहचाना है, 'जिनकी विरल उपस्थिति का आलोक जीवन के सर्जनात्मक रास्ते को उजागर करता है

अमृता शेरगिल की खोई डायरी के कुछ पन्ने

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सिर्फ अट्ठाईस वर्ष ज़िन्दा रहीं अमृता शेरगिल (30 जनवरी 1913 - 5 दिसंबर 1941) ने आयु के सोलहवें वर्ष में कला विद्यालय में प्रवेश लिया था । पेरिस के प्रतिष्ठित कलाविद्यालय 'इकोल ब्यो ऑर्ट' में शिक्षा पाने के बावजूद उन्हें जल्दी ही यह समझ में आ गया कि सच्ची शिक्षा किसी विद्यालय में नहीं, बल्कि प्रकृति और समाज के बीच रह कर ही मिलेगी । इस समझ के भरोसे उन्होंने जो रचा, उसके कारण ही उन्होंने चित्रकला - खासकर आधुनिक भारतीय चित्रकला के इतिहास में अपना विशेष स्थान बनाया । अमृता शेरगिल की अंग्रेजी में लिखी डायरी के कई अंश अनुदित होकर मराठी में प्रकाशित हुए थे, जिनका 'कला-भारती' के लिए हिंदी रूपांतर दीप्ति गावंडे ने किया है । उसी में से कुछ प्रमुख अंश यहाँ साभार : 23 मई 1927, शिमला : आज इर्विन अंकल हंगरी गए हैं । हंगेरियन सरकार ने उन्हें सम्मान देने के लिए आमंत्रित किया है । उनके पौर्वात्य ज्ञान तथा अध्ययन को ध्यान में रखते हुए उनके नाम से बुडापेस्ट में एक विद्यापीठ स्थापित कर रहे हैं । यह गौरव की ही बात है । जाते समय उन्होंने मुझे बाँहों में लिया और बोले, 'चि