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नज़र ऑर्ट गैलरी बंद हुई !

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एक आयोजन के सिलसिले में बडोदरा की प्रमुख ऑर्ट गैलरी  नज़र  से संपर्क करने की कोशिश की तो पता चला कि  अभी हाल ही में उसे बंद कर दिया गया है;   बताया गया कि हम यदि कुछ दिन पहले संपर्क करते तो गैलरी कुछ दिन और खुली रह जाती ।  यह जानकार गहरा धक्का लगा ।  यूँ तो कई ऑर्ट गैलरीज को बंद होते हुए देखा है,  लेकिन बडोदरा की नज़र ऑर्ट गैलरी के बंद होने की सूचना ने बड़ा नुकसान होने जैसा अहसास कराया ।  बडोदरा में हालाँकि बहुत से ऑर्ट सेंटर हैं,  जहाँ स्थानीय कला गतिविधियों के साथ-साथ देश-विदेश की समकालीन  कला  और उसके रुझानों से परिचित होने का मौका मिल जाता है -  लेकिन नज़र ऑर्ट गैलरी आसान पहुँच और व्यापक सक्रियता के कारण  बाहर से बडोदरा जाने/पहुँचने वाले  मेरे जैसे लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र थी ।   देश के आधुनिक मूर्तिशिल्पियों में एक अलग स्थान रखने वाले  नागजी पटेल ने इसकी स्थापना की थी ।  बडोदरा के ही एक गाँव में जन्मे और बडोदरा के  एमएस विश्वविद्यालय से मूर्तिशिल्प की डिग्री प्राप्त करने तथा  देश-विदेश में जगह-जगह काम करते रहने के बावजूद बराबर  बडोदरा लौ

ऑर्ट गैलरीज के पुराने ढर्रे पर ही कायम रहने के कारण उनके द्वारा आयोजित 'देहली कंटेम्पररी ऑर्ट वीक' एक आम समूह प्रदर्शनी जैसा आयोजन बन कर ही रह गया, और अपने उद्देश्य को प्राप्त कर पाने में नितांत असफल रहा है

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'देहली कंटेम्पररी ऑर्ट वीक' शीर्षक से 27 से 30 अगस्त के बीच इंडिया हैबिटेट सेंटर की विजुअल ऑर्ट्स गैलरी में हुआ आयोजन आयोजक ऑर्ट गैलरीज के लिए ढाक के तीन पात ही साबित हुआ है । इस आयोजन को दिल्ली की सात बड़ी ऑर्ट गैलरीज की तरफ से ऑर्ट के नए खरीदारों को खोजने और उन्हें ऑर्ट का ग्राहक बनाने की कोशिश और तैयारी के रूप में देखा/पहचाना गया; लेकिन खुद आयोजक गैलरीज के लोगों का ही मानना और कहना है कि अपना लक्ष्य पाने में इस महत्त्वाकांक्षी आयोजन से कोई खास उत्साहजनक नतीजे नहीं मिले हैं । ऑर्ट वीक का उद्देश्य लोगों को ऑर्ट के प्रति शिक्षित और जागरूक बनाने/करने तथा युवा कलाकारों व उनके काम को प्रमोट करना बताया गया था । लेकिन इन मामलों में भी कुछ होता हुआ दिखा नहीं । कुछ होता हुआ दिखना तो दूर की बात, चार दिनों के इस आयोजन में कुछ किया जाता हुआ भी नहीं नजर आया । लगता है कि आयोजक गैलरीज के कर्ता-धर्ताओं ने यह मान लिया था कि आयोजन के नाम पर कुछ युवा कलाकारों के काम प्रदर्शित कर देने भर से 'लोग' ऑर्ट के प्रति शिक्षित व जागरूक भी हो जायेंगे, और युवा कलाकार और