Posts

Showing posts from May, 2017

आशीष कुशवाह की कला पर आधारित एक फीचर रिपोर्ट को 'बिजनेस स्टैंडर्ड' ने सिंडिकेटेट बता/दर्शा कर कला के प्रति उसने अपनी दुर्भावना को प्रकट किया है, या क्रिटिक और क्यूरेटर उमा नायर से कोई हिसाब बराबर किया है ?

Image
नई दिल्ली । आशीष कुशवाह की पेंटिंग्स की 'इन्हेरिटेंस ऑफ लॉस' शीर्षक से दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में 19 मई से आयोजित हो रही एकल प्रदर्शनी पर 'बिजनेस स्टैंडर्ड' ने एक समीक्षात्मक टिप्पणी प्रकाशित कर उक्त टिप्पणी को जिस तरह से सिंडीकेट द्वारा प्रायोजित बताया है, वह कला के प्रति समाचार पत्रों की बेरुखी और भेदभावपरक व दुर्भावनापूर्ण सोच का दिलचस्प उदाहरण है । उल्लेखनीय है कि कोई भी समाचार पत्र अपने लिए कई माध्यमों और तरीकों से खबरें और आलेख जुटाता है - उसका अपना स्टॉफ होता है, वह कई न्यूज और फीचर एजेंसियों के साथ-साथ फ्रीलांसर्स की सेवाएँ लेता है । इनके अलावा, उसके पास प्रेस रिलीज आती हैं - जिनमें दी गई सूचनाओं को उसका हवाला देकर प्रकाशित किया जाता है । समाचार पत्रों में जो खबरें 'प्लांट' भी होती हैं, उन्हें भी इन्हीं 'रास्तों' से गुजरना होता है । खबरों का प्लांट होना यूँ तो बुरा समझा जाता है, लेकिन मीडिया जगत में इसे एक 'आवश्यक बुराई' के रूप में स्वीकार कर लिया गया है - और मान लिया गया है कि इससे बच पाना असंभव ही है । दूसरे

नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न ऑर्ट के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गडनायक के अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के साथ-साथ हकु शाह जैसे प्रतिष्ठित कलाकार की गरिमा के साथ खिलवाड़ करने ने नेशनल गैलरी के भविष्य के प्रति लोगों को सशंकित कर दिया है

Image
नई दिल्ली । राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय (नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न ऑर्ट) के डायरेक्टर जनरल अद्वैत गडनायक अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने की कोशिशों तथा वरिष्ठ चित्रकार हकु शाह को अपमानित करने के गंभीर आरोपों की चपेट में आ गए हैं । अद्वैत गडनायक ने करीब छह माह पहले, नवंबर 2016 में ही उक्त पद संभाला है । उनके अतीत के कारण उनकी नियुक्ति पर भी विवाद हुआ था । वह ओडिसा में भारतीय जनता पार्टी की ऑर्ट एंड कल्चर इकाई के संयोजक रहे हैं, और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में शामिल होते रहे हैं  - जिस कारण से उनकी नियुक्ति में राजनीतिक पक्षपात देखते हुए उनकी नियुक्ति को राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के भविष्य के संदर्भ में अच्छे रूप में नहीं लिया गया था । अद्वैत चूँकि ललित कला अकादमी का राष्ट्रीय अवॉर्ड प्राप्त एक प्रतिभाशाली शिल्पकार हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति पर हालाँकि वैसा विवाद नहीं हुआ, जैसा कि फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति पर हुआ था । खुद अद्वैत ने भी अतीत से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हुए मामले को होशियारी से हैंडल किया । अपने राजनीतिक