बसंत भार्गव की ड्राइंग्स उनकी कलात्मक अनुभूति में नया आयाम जोड़ने के साथ-साथ हमें अभिभूत, आलोड़ित और रोमांचित भी करती हैं
बसंत भार्गव की 'लाइंस ऑफ अ सिटी' शीर्षक से जिन ड्राइंग्स की प्रदर्शनी 8 जून को भोपाल की आलियंस फ्रांसिस कला दीर्घा में उद्घाटित हो रही है, उनके 'बनने' की प्रेरणा के स्रोत तीन वर्ष पहले उज्जैन में संपन्न हुए सिंहस्थ कुंभ में छिपे मिलेंगे । यूँ तो हर रचना अकस्मात और या अप्रत्याशित रूप से हुए अनुभवों को व्यवस्थित रूप देने का 'नतीजा' ही होती है; लेकिन व्यवस्थित रूप देने की प्रक्रिया चूँकि अनिश्चित ही होती है, इसलिए उसके उदगम स्थल का प्रायः कोई महत्त्व नहीं होता है । बसंत भार्गव किंतु खुद अपनी ड्राइंग्स के उदगम स्थल के रूप में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ को रेखांकित करते हैं, इसलिए मामला दिलचस्प हो जाता है । बसंत बताते हैं कि कला के एक साधक होने के नाते वह ड्राइंग करते तो थे, लेकिन ड्राइंग को उन्होंने कभी प्रोफेशनल रूप में करने/अपनाने में रुचि नहीं ली और कई साथियों को ड्राइंग करता देखने और उनके काम से चमत्कृत होते रहने के बावजूद वह प्रोफेशनल रूप में ड्राइंग करने को लेकर कभी प्रेरित नहीं हो सके । वर्ष 2016 में उज्जैन में आयोजित हुए सिंहस्थ कुंभ का नजारा देख कर ड्राइ