कला बाजार में जोरदार सफलता पाने वाले जितिश कल्लट तथा उनके जैसे कामयाब कलाकारों की कलाप्रेमियों के बीच वैसी पहचान और प्रतिष्ठा आखिर नहीं बन पाई है, जैसी पहचान व प्रतिष्ठा उनके पूर्ववर्ती कलाकारों को मिली है

कल जितिश कल्लट का जन्मदिन था ! 
46 वर्षीय जितिश एक कामयाब भारतीय समकालीन कलाकार हैं, जो पेंटिंग, फोटोग्राफी, कोलाज, स्कल्प्चर, इंस्टॉलेशन तथा मल्टीमीडिया में काम करते हैं । कम उम्र में ही जितिश ने एक कलाकार के रूप में सफलता की जो सीढ़ियाँ चढ़ी हैं, वह चकित करती हैं । जितिश को युवा भारतीय कलाकारों के उस 'क्लब' के सदस्य के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जो अपेक्षाकृत कम उम्र में ही कला बाजार के चहेते बन गए और जिस क्लब में सुबोध गुप्ता, अतुल डोडिया, टीवी संतोष, रकीब शॉ आदि हैं - और जिनके लिए देश/विदेश की ऑर्ट गैलरीज दिन/रात एक किए रहती हैं, और जिसकी बदौलत इनकी कलाकृतियों को मकबूल फिदा हुसेन, सैयद हैदर रज़ा, फ्रांसिस सूज़ा, रामकुमार आदि की कलाकृतियों से ऊँची कीमत मिलती है । भारत में नई दिल्ली की नेचर मोर्ते तथा मुंबई की चमौल्ड प्रेस्कॉट रोड गैलरी; फ्रांस व बेल्जियम में गैलरी डेनियल टेम्प्लोन तथा बर्लिन में अर्न्ड गैलरी जितिश के काम की मार्केटिंग करती हैं । मुंबई में रहने और काम करने वाले जितिश इंडिया फाउंडेशन फॉर द ऑर्ट्स के ट्रस्टी हैं । 2014 में आयोजित हुए कोच्ची-मुज़िरिस बिएनाले के दूसरे संस्करण के ऑर्ट डायरेक्टर रह चुके हैं ।
जितिश की उपलब्धियों के और कई विवरण दिए जा सकते हैं, जो वास्तव में महत्त्वपूर्ण होंगे - लेकिन मैं बता यह रहा था कि जितिश का कल जन्मदिन था । 
उनके काम की मार्केटिंग करने वाली बड़ी गैलरी नेचर मोर्ते ने इसका जिक्र करते हुए अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनकी तस्वीर के साथ पोस्ट लगाई थी । मुझे लेकिन हैरानी यह देख कर है कि इन शब्दों के लिखे जाने तक उक्त पोस्ट को 18 घंटे हो चुके हैं, लेकिन जितिश को जन्मदिन की बधाई कुल पाँच लोगों ने दी है । नेचर मोर्ते के इंस्टाग्राम अकाउंट को करीब 16 हजार लोग फॉलो करते हैं । मेरा अनुमान है कि नेचर मोर्ते के इंस्टाग्राम अकाउंट को फॉलो करने वाले लोग या तो खुद कलाकार होंगे और या कला में अभिरुचि रखने वाले लोग होंगे । उक्त पोस्ट को अभी तक करीब तीन सौ लोगों ने लाइक भी किया है । मैं मानता/समझता हूँ कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बड़े मायावी हैं, और इनमें फॉलो, लाइक, कमेंट के आधार पर कोई गंभीर आकलन नहीं किया जा सकता है; लेकिन इनसे संकेत तो मिलता ही है । यहीं मैं यह भी ध्यान कर रहा हूँ कि अमृता शेरगिल हों, मकबूल फिदा हुसेन हों, स्वामीनाथन हों, सैयद हैदर रज़ा हों, रामकुमार हों, और अन्य कई नामी कलाकार हों - उनके जन्मदिन और उनकी पुण्यतिथि पर उनके प्रशंसक तथा कलाप्रेमी उन्हें खासे सम्मान के साथ याद करते हैं और उनके कृतित्व को अपने अपने तरीके से रेखांकित करते हैं ।
दरअसल इसीलिए मुझे जितिश कल्लट के जन्मदिन पर कला जगत की ठंडी व रुखी सी प्रतिक्रिया देख कर हैरानी हुई है । हमारा कला जगत एक अत्यंत कामयाब युवा कलाकार के प्रति ऐसी बेरुखी आखिर क्यों दिखा रहा है ? एक बड़ी गैलरी जितिश के जन्मदिन को सेलीब्रेट करने का उपक्रम करती है, लेकिन कलाकार और कलाप्रेमी उस सेलीब्रेशन पर एक उचटी सी निगाह डाल कर आगे बढ़ जाते हैं । तो क्या कलाकार की कामयाबी भी अलग अलग तरह की होती है - वह अमृता शेरगिल, मकबूल फिदा हुसेन, स्वामीनाथन, सैयद हैदर रज़ा, रामकुमार आदि के मामले में अलग तरीके से अभिव्यक्त होती है; और जितिश जैसे कलाकारों के मामले में अलग रवैया दिखाती है ? अमृता शेरगिल, मकबूल फिदा हुसेन, स्वामीनाथन, सैयद हैदर रज़ा, रामकुमार आदि की कलाकृतियों के मुकाबले अपनी कलाकृतियों के लिए ऊँची कीमत पाने के बावजूद जितिश कल्लत कलाकारों और कलाप्रेमियों के बीच सम्मान पाने के मामले में अत्यंत पिछड़े हुए क्यों नजर आते हैं ? यह देख कर सचमुच हैरानी है कि कला बाजार में जोरदार सफलता पाने वाले भारतीय कलाकारों की 'अपने लोगों' के बीच वैसी पहचान और प्रतिष्ठा नहीं बन पाई है, जैसी पहचान व प्रतिष्ठा उनके पूर्ववर्ती कलाकारों को मिली है । यह सिर्फ बाजारोन्मुख कामयाबी का 'दुष्परिणाम' ही नहीं है - बाजार की कामयाबी का तो फार्मूला ही यही है कि बाजार जिसे सिर चढ़ाता है, लोग उसे खुशी खुशी सिर पर बैठा लेते हैं; लेकिन बाजार के चहेते भारतीय कलाकारों के मामले में उल्टी गंगा ही बहती दिख रही है । इसका कारण बाजार के चहेते कलाकारों के कार्य-व्यवहार में ही देखना/खोजना पड़ेगा !

Comments

  1. कला बाज़ार में सफलता तो कुछ धनाड्य और पेड मीडिया का कमाल था। जब बाज़ार बाद हो गया तब सच्चाई आया । जहां तक जितिश क्लॉट के जिस काम को उनका बताया गया था वह तो पश्चिम के कलाकार बहुत पहले ही कर चुके थे। उसको ही नमक लगाकर नया प्रयोग बताकर प्रदर्षित किया । आखिर दुनिया छोटा है स्वमिनाथन जी और हुसैन जी की कला में अपना खोज देशी पन था ।
    आप सब सोचों की भारतीय कला में भारतीयता तो होना ना।

    अनन्त
    भोपाल

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  2. Very nice post. Thanks for sharing this information. This blog is really helpful for those people interested in arts. Visit my link as well. Krishna madhubani painting

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