दिल्ली में होने जा रहे इंडिया ऑर्ट फेयर के आयोजन से ठीक पहले इंडिया ऑर्ट फेस्टिवल के आयोजकों ने अपना आयोजन करने की जो बड़ी गलती की, फेस्टिवल के आयोजन की योजना/व्यवस्था में लापरवाही बरत कर उसे उन्होंने और बड़ा कर लिया
दिल्ली में 19 से 22 जनवरी के बीच आयोजित हुआ इंडिया ऑर्ट फेस्टिवल गलत टाइमिंग का शिकार हुआ और या योजना/व्यवस्था की कमी के चलते वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाया, जैसे प्रभाव की उससे उम्मीद की गई थी ? इंडिया ऑर्ट फेस्टिवल के डायरेक्टर राजेंद्र पाटिल ने दर्शकों की कमी का ठीकरा तो यह कहते/बताते हुए दिल्ली की सर्दी के सिर फोड़ा कि मौसम के चलते लोग दोपहर बाद यहाँ आते और अँधेरा घिरने से पहले निकलने लगते; किंतु गैलरीज तथा बड़े 'नामी' आर्टिस्ट्स इस फेस्टिवल से क्यों दूर रहे - इसका उनकी तरफ से कोई जबाव सुनने को नहीं मिला । कहने के लिए तो यहाँ करीब 40 गैलरीज थीं, लेकिन जानी/पहचानी गैलरीज गिनती की ही थीं, और उन्होंने भी अपनी उपस्थिति को बस खानापूर्ति तक ही सीमित रखा था । आर्टिस्ट्स की भी संख्या भी यहाँ थी तो अच्छी-खासी, लेकिन समकालीन भारतीय कला में अपना दबदबा रखने वाले अधिकतर कलाकारों को यहाँ अनुपस्थित ही पाया । यूँ तो इस फेस्टिवल ने देश के छोटे-बड़े शहरों की सृजनशीलता से परिचित होने का अच्छा मौका उपलब्ध करवाया, लेकिन समकालीन भारतीय कला की मुख्यधारा यहाँ से दूर दूर ही रही लगी । दि