अंतरा श्रीवास्तव की सृजन यात्रा में पौराणिक कथाओं से जुड़े प्रसंगों व व्यक्तित्वों के प्रमुखता पाने को लेकर, उनसे हुई बातचीत
अंतरा श्रीवास्तव ने पिछले कुछ समय में आध्यात्मिक भावभूमि के साथ पौराणिक पात्रों को जिस तरह से चित्रित किया है, वह विस्मय से भर देता है । इन चित्रकृतियों में रूपकालंकारिक छवियों को बहुत ही सूक्ष्मता के साथ विषयानुरूप चित्रित किया गया है । अंतरा की कला मनोभाव व संवेदना के स्तर पर जीवन से सीधा साक्षात्कार करती है, जिसमें गहरा अनुशासन रहा है और जिसमें अन्वेषण की निरंतर ललक व तलाश रही है । इसी ललक व तलाश के चलते एक स्वाभाविक प्रक्रिया से गुजरते हुए उनकी कला चेतना का आध्यात्मिकीकरण हुआ है । उनके चित्र हालाँकि निरे आध्यात्मिक नहीं हैं, बल्कि कलात्मक दृष्टि से भी उल्लेखनीय हैं । सच तो यह है कि अपनी कलात्मकता के कारण ये कलाकृतियाँ अंतरा श्रीवास्तव की श्रेष्ठ रचनात्मकता की साक्षी बनती हैं । उनकी सृजन-यात्रा में आए इस बड़े परिवर्तन के कारणों तथा उसे प्रेरित करने वाले प्रसंगों व तथ्यों को जानने समझने के लिए उनसे कुछ सवाल किए गए, जिनके उन्होंने गहरी दिलचस्पी के साथ जबाव दिए । सवाल-जबाव यहाँ प्रस्तुत हैं : अंतरा जी, पौराणिक कथाओं से जुड़े प्रसंग और...