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जगदीश स्वामीनाथन 19 वर्षों से हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारे सौभाग्य से उनकी पेंटिंग्स और उनकी कविताएँ हमारे लिए उपलब्ध हैं

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19 वर्ष पहले, वर्ष 1994 के आज के दिन तक आधुनिक भारतीय चित्रकला को उसके वातावरण से जोड़ने के महत्पूर्ण काम को अंजाम देने वाले जगदीश स्वामीनाथन (जून 21,1928 - अप्रैल 25,1994) हमारे बीच मौजूद थे | इस तथ्य को याद करना इसलिए भी रोमांचित करता है क्योंकि वह उन थोड़े से कलाकर्मियों में से हैं जो बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मनुष्य की अंतरात्मा और कला-माध्यम के प्रश्नों को अटूट देखने में समर्थ हैं और जिनका कुछ भी सोचा-कहा-किया हुआ हमारे लिए आज भी गहरा अर्थ रखता है | समकालीन कला संसार में एक विचारोत्तेजक 'घटना' के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले जगदीश स्वामीनाथन 19 वर्षों से हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हमारे सौभाग्य से उनकी पेंटिंग्स और उनकी कविताएँ हमारे लिए उपलब्ध हैं, जिनमें उनकी अनुपस्थिति में भी उनकी उपस्थिति को हम महसूस कर सकते हैं | कृष्ण बलदेव वैद के शब्द उनकी उपस्थिति को जैसे सजीव बनाते हैं : 'स्वामी एक ऐसा आधुनिकतावादी था जिसने आदिवासी कला को भोपाल स्थित भारत भवन के आधुनिक क