कला बाजार में बड़ी पूँजी के बल पर ऑर्ट फेयर्स ने ऑर्ट गैलरीज को क्या ठीक उसी तरह से समर्पण करने के लिए मजबूर नहीं कर दिया है, जैसे कि ऑर्ट गैलरीज ने कलाकारों को कर दिया था ?
कला जगत और कला बाजार में पूँजी के बढ़ते प्रवाह ने पहले कलाकारों को गैलरीज के सामने समर्पण करने के लिए मजबूर बनाया और अब गैलरीज को कला मेलों के सामने निरीह बना दिया है । इसके बिलकुल नए उदाहरण हाल ही में दिल्ली में आयोजित हुए इंडिया ऑर्ट फेयर और आज मनीला में उद्घाटित हुए ऑर्ट फेयर फिलीपींस से जुड़े प्रसंग में देखने को मिले । इंडिया ऑर्ट फेयर में इटालियन दूतावास साँस्कृतिक केंद्र के बूथ पर फेयर के स्टॉफ ने कलाकारों के साथ बदतमीजी करते हुए बूथ की गतिविधियों को रोक दिया तथा उसे बंद करवा दिया, लेकिन फेयर में भाग लेने वाली गैलरीज ने फेयर के आयोजकों के इस कला व कलाकार विरोधी रवैये पर चूँ तक नहीं की और बदतमीजी का शिकार होने वाले कलाकार अलग-थलग पड़ गए । फिलीपींस की राजधानी मनीला में तो और भी 'गजब' हुआ । ऑर्ट फेयर फिलीपींस के आयोजकों की हरकतों से निराश/परेशान हो कर मनीला की दस बड़ी ऑर्ट गैलरीज ने ऑर्ट फेयर फिलीपींस के इस वर्ष के आयोजन का बहिष्कार करने की घोषणा की तथा 'एएलटी फिलीपींस' नाम से पिछले सप्ताह एक अलग तीन दिवसीय कला मेला आयोजित किया । लेकिन इसका ऑर्ट फेयर फिलीपींस पर