निधन के आठ वर्ष बाद भी अपनी चित्रभाषा को लेकर सम्मान/प्रतिष्ठा तथा विरोध/नफरत का एक साथ सामना करने वाले अमेरिकी अमूर्त चित्रकार ट्वॉम्ब्ली युवा कलाकारों के लिए एक सबक व प्रेरणा का स्रोत आखिर क्यों हैं ?

दुनिया भर में अमूर्त कला, उसके चित्रकारों तथा उससे जुड़ी गतिविधियों को प्रचारित/प्रसारित करने वाली संस्था 'एब्स्ट्रेक्ट' ने आज सुबह अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर जब 'सीवाई' ट्वॉम्ब्ली के नाम से जाने/पहचाने जाने वाले प्रख्यात अमेरिकन चित्रकार एडविन पारकर ट्वॉम्ब्ली की पेंटिंग की तस्वीर लगाई, तो सात घंटे के अंदर उसे साढ़े तीन हजार से ज्यादा लाइक्स तो मिल गए, लेकिन साथ ही कमेंट्स के रूप में बहुत ही बुरी प्रतिक्रियाएँ भी मिलीं । लोगों ने उनकी पेंटिंग का बहुत ही बुरे तरीके से मजाक बनाया और टिप्पणियाँ कि इस तरह की पेंटिंग करने वाले को चित्रकार कैसे माना जा सकता है ? उल्लेखनीय है कि 2011 में 83 वर्ष की उम्र में अंतिम साँस लेने वाले ट्वॉम्ब्ली को अपने जीवन में भी अपनी कला को लेकर कई मौकों पर प्रतिकूल स्थितियों व भारी विरोध का सामना करना पड़ा था । ट्वॉम्ब्ली दुनिया के गिने-चुने कलाकारों में हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सम्मान/प्रतिष्ठा तथा विरोध/नफरत को एक साथ प्राप्त किया । आज इंस्टाग्राम पर उनकी एक पेंटिंग की तस्वीर लगने पर जो नजारा बना/दिखा, उसने बताया है कि उनके प्रति सम्मान/प्रतिष्ठा व विरोध/नफरत का विरोधाभास उनके निधन के आठ वर्षों के बाद भी बना हुआ है । स्वाभाविक ही है कि आज इंस्टाग्राम पर उनकी पेंटिंग को पसंद करने वाले तथा उसका विरोध करने व मजाक बनाने वाले लोगों में अधिकतर अगली पीढ़ी के ही लोग होंगे; इससे जाहिर है कि ट्वॉम्ब्ली की पेंटिंग्स की चित्रभाषा अब से 40/50 वर्ष पहले भी कला प्रेमियों तथा कला प्रेक्षकों के लिए एक चुनौती थी, और वह आज भी एक चुनौती है ।     
ट्वॉम्ब्ली का कला जीवन उन युवा कलाकारों के लिए एक सबक व प्रेरणा का स्रोत हो सकता है, जो कला संसार में जल्दी से पहचान व मान्यता न मिल पाने से निराश महसूस करते हैं । मजे की बात यह है कि ट्वॉम्ब्ली को 22 वर्ष की उम्र में, वर्ष 1950 में ऑर्ट स्टूडेंट लीग की तरफ से अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगाने का ऑफर मिला था, जिसे लेकिन उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि अभी अपने चित्रों को प्रदर्शित करना उनके लिए 'जल्दी' होगा । इसके बाद, वर्ष 1955 में न्यूयॉर्क की स्टेब्ले गैलरी ने जब उनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी आयोजित की, तो प्रदर्शनी में आने वाले दर्शकों ने विजिटर कमेंट्स बुक को ऐसी ऐसी प्रतिकूल व भद्दी टिप्पणियों से भर दिया कि गैलरी के प्रबंधकों को विजिटर कमेंट्स बुक को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा । यह अनुभव किसी भी युवा कलाकार को हतोत्साहित ही करता, लेकिन ट्वॉम्ब्ली को पता था कि वह केनवस पर क्या कर रहे हैं; उन्हें अपने ऊपर तथा अपनी कला पर पूरा भरोसा था और इसीलिए पहले ही बुरे अनुभव से वह जरा भी विचलित नहीं हुए । वर्ष 1960 के आसपास तक  ट्वॉम्ब्ली की कला ने इटली के कला प्रेमियों व कला समीक्षकों के बीच अपनी खासी पहचान बना ली थी और वहाँ उन्हें एक अमूर्त कलाकार के रूप में खूब सम्मान मिलने लगा था । हालाँकि अमेरिका में उन्हें तब भी तिरस्कार व उपेक्षा का ही, बल्कि विरोध का भी शिकार होना पड़ रहा था । वर्ष 1963 में न्यूयॉर्क की कॉस्ट्ली गैलरी में उनके चित्रों की प्रदर्शनी हुई, तो उन्हें अमेरिका के आम व खास कलाकारों तथा समीक्षकों तक की तरफ से भयावह प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ मिलीं । ऑर्टिस्ट व लेखक डॉनल्ड जुड ने ट्वॉम्ब्ली को चित्रकार तथा उनकी पेंटिंग्स को कला मानने से ही इंकार किया और प्रदर्शनी को 'मजाक' बताया ।
ट्वॉम्ब्ली ने कला को अपनी किशोरावस्था से ही गंभीरता से लेना शुरू कर दिया था, हालाँकि कला की तरफ उनका झुकाव संयोगवश ही हुआ था । उनके पिता बेसवॉल के मशहूर खिलाड़ी थे, और ट्वॉम्ब्ली करीब 10/12 वर्ष की उम्र में अपने पिता की टीम के खिलाड़ियों की किट पर डिजाईन बनाया करते थे । किशोरावस्था में उन्हें स्पेनिश चित्रकार पिएर्रे दउरा की वर्कशॉप में शामिल होने का मौका मिला, जिनकी प्रागैतिहासिक गुफा पेंटिंग्स शैली में एक्सपर्टीज थी । ट्वॉम्ब्ली पर उनकी एक्सपर्टीज का गहरा असर पड़ा, जो उनके काम पर भी दिखाई दिया । ट्वॉम्ब्ली ने अपनी जो चित्रभाषा विकसित की, उसे अमेरिकी कला संसार में आसानी से स्वीकृति नहीं मिली । करीब तीस वर्षों तक उपेक्षा, तिरस्कार व विरोध का शिकार होते/बनते हुए ट्वॉम्ब्ली को अमेरिका में 1980 के करीब तब मान्यता मिलना शुरू हुई, जब अमेरिकी कला में नव-अभिव्यंजनावाद (न्यो-एक्सप्रेसनिज्म) ने जोर पकड़ा । जिस अमेरिका में ट्वॉम्ब्ली को चित्रकार मानने से ही इंकार कर दिया गया था, उसी अमेरिका में उनकी पेंटिंग दस लाख डॉलर में ऑक्शन हुई । अमेरिकी कला बाजार में खासी पैठ बना लेने के बावजूद ट्वॉम्ब्ली कला बाजार की चकाचौंध से दूर ही रहने की कोशिश करते थे; वह समीक्षकों से बचते थे और उनकी उपेक्षा करते थे; उन्होंने शायद ही किसी को इंटरव्यु दिया हो । 1994 में न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न ऑर्ट में जब उनकी पेंटिंग्स की पुनरावलोकन (रेट्रोस्पेक्टिव) प्रदर्शनी आयोजित हुई, तब उसके केटलॉग पर न तो वह खुद कुछ लिखने के लिए तैयार हुए और न उन्होंने यह पसंद किया कि कोई समीक्षक उनके बारे में लिखे । तब प्रदर्शनी के क्यूरेटर किर्क वर्नेडोए ने खुद उनकी कला के बारे में लेख लिखा, जो केटलॉग में प्रकाशित हुआ और जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया कि आम दर्शकों के साथ-साथ कई कलाकारों और समीक्षकों द्वारा पसंद न किए जाने तथा उनकी तरफ से प्रतिकूल रिव्यूज मिलने के बावजूद  ट्वॉम्ब्ली का काम क्यों महत्त्वपूर्ण व उल्लेखनीय है । 
ट्वॉम्ब्ली अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में इटली में बस गए थे । अमेरिका में उनका पहले जैसा विरोध तो नहीं बचा रह गया था, लेकिन अमेरिकी कला संसार के लोगों के साथ उनके संबंध कोई बहुत सहज भी नहीं बन सके थे । हालाँकि एक अमूर्त चित्रकार के रूप में ट्वॉम्ब्ली की बढ़ती स्वीकार्यता व प्रतिष्ठा के चलते अमेरिकी कला बाजार के खिलाड़ियों के लिए पूरी तरह उनकी उपेक्षा करना अब संभव नहीं रह गया था । अमेरिका में ह्यूजटन स्थित मेनिल कलेक्शन नाम के एक निजी म्यूजियम ने  ट्वॉम्ब्ली के काम को समर्पित एक गैलरी ही स्थापित की, जिसे प्रख्यात वास्तुविद रेंजो पियनो ने डिजाईन किया । तमाम उपेक्षा, तिरस्कार व विरोध के बावजूद ट्वॉम्ब्ली ने एक चित्रकार के रूप में जोरदार कामयाबी का मुकाम भी हासिल किया; और इस तरह अपने जीवन में सम्मान/प्रतिष्ठा तथा विरोध/नफरत का एक साथ सामना किया । हैरान करने वाली दिलचस्प बात लेकिन यह है कि उनके निधन के आठ वर्ष बाद भी उनके काम को लेकर यह विरोधाभाषी रवैया अभी भी बरकरार है, जो आज एक इंस्टाग्राम की पोस्ट पर देखने को मिला ।
ट्वॉम्ब्ली की कुछेक पेंटिंग्स की तस्वीरें :





Comments

  1. This article on the abstract painter 'CY' Twombly is truly inspiring for all those artists who have chosen to follow unbeaten path and to develop their own language of expression especially in our country where masses only respond to story telling narrative expression and for Galleries who is selling is only artist.
    I congratulate you for publishing such touching account.
    S.K.Sahni
    http://www.sksahni.com

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