'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' का क्यूरेटर बनने और फिर यौन उत्पीड़न के आरोपों के घेरे में आने के कारण हाई प्रोफाइल ऑर्टिस्ट सुबोध गुप्ता खासी फजीहत के शिकार हो रहे हैं

कल से गोवा में शुरू हो रहे 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के क्यूरेशन की जिम्मेदारी संभालने के चलते हाई प्रोफाइल ऑर्टिस्ट सुबोध गुप्ता जैसे खासी मुसीबत में फँस गए हैं । पहले तो उन पर क्यूरेटर की जिम्मेदारी संभालने के कारण दोहरे मापदंड लगाने का आरोप लगा, और अब वह मीटू हैशटैग के तहत यौन छेड़छाड़ के आरोपों के घेरे में आ गए हैं । उल्लेखनीय है कि सुबोध गुप्ता कलाकारों के क्यूरेटर की भूमिका निभाने का विरोध करते रहे हैं । दरअसल बोस कृष्णामचारी, जितिश कल्लट, सुदर्शन शेट्टी, अनिता दुबे जैसे प्रमुख कलाकारों के क्यूरेटर की भी जिम्मेदारी निभाने के कारण कला जगत में बहस चली कि एक कलाकार को क्या क्यूरेटर की भूमिका निभाना चाहिए ? अधिकतर कलाकारों का मानना/कहना रहा कि किसी भी कला आयोजन के क्यूरेशन के लिए जिस तरह की विविधतापूर्ण खूबियों की जरूरत होती है, वह कलाकारों में प्रायः नहीं होती है; और एक कलाकार के लिए क्यूरेशन जैसे काम के साथ न्याय करने को लेकर संदेह रहता है - इसलिए कलाकारों को क्यूरेशन के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए । सुबोध गुप्ता भी कलाकारों के क्यूरेशन से दूर रहने के पक्ष में विचार रखते रहे हैं ।

सुबोध गुप्ता ने हालाँकि वर्ष 2011 में मुंबई के एक कला केंद्र 'प्रोजेक्ट 88' में 'ईस्ट विलेज' शीर्षक से एक शो क्यूरेट किया था, लेकिन क्यूरेशन को लेकर उनकी नापसंदगी बनी और जाहिर होती रही थी । सुबोध गुप्ता लगातार कहते रहे हैं कि वह अपने आप को एक क्यूरेटर के रूप में नहीं देखते हैं, वह खुद को एक ऑर्टिस्ट के रूप में ही पहचानते हैं । कलाकारों को क्यूरेशन के काम से दूर रहने की वकालत करते रहने के बावजूद सुबोध गुप्ता ने लेकिन जब 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के क्यूरेशन की जिम्मेदारी ली, तो वह कलाकारों के निशाने पर आ गए । उन पर आरोप लगा कि सिद्धांतः वह जिस चीज का विरोध करते रहे हैं, व्यवहार में उन्होंने ठीक वही चीज अपना ली है - और यह उनके दोहरे रवैये का सूचक व सुबूत है । सुबोध गुप्ता ने यह तर्क देते हुए अपना बचाव करने की कोशिश की कि फेस्टिबल की आयोजक संस्था सेरेण्डिपिटी ऑर्ट्स फाउंडेशन ने उनसे फेस्टिबल के क्यूरेशन के लिए संपर्क किया था, और फाउंडेशन की गतिविधियों से वह चूँकि परिचित और प्रभावित रहे हैं, इसलिए उनके प्रस्ताव को अस्वीकार करने का उन्हें कोई कारण समझ में नहीं आया । लेकिन उनके इस तर्क ने वास्तव में उनकी मुश्किलें कम करने की बजाये उन्हें बढ़ाने का ही काम किया । उनके तर्क पर लोगों को कहने का मौका मिला कि इसका मतलब यही हुआ कि सुबोध गुप्ता जैसे मौके की तलाश में थे और जैसे ही उन्हें ऑफर मिला, उन्होंने झट से ऑफर स्वीकार कर लिया और यही उनके दोहरे रवैये को दर्शाता है ।
क्यूरेशन को लेकर सुबोध गुप्ता पर आरोपों की बौछार समय बीतने के साथ-साथ धीमी पड़ी, तो अब मीटू हैशटैग के तहत वह यौन उत्पीड़न के आरोपों के घेरे में आ गए हैं । कई कलाकारों ने और एक कला-लेखक ने सुबोध गुप्ता के यौन-पीड़क व्यवहार की शिकायत को सही ठहराया है । इस मामले में सुबोध गुप्ता की चुप्पी ने मामले को और गंभीर बना दिया है । 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने भी सुबोध गुप्ता पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है । इस कारण से मामला और गंभीर हो गया है । उल्लेखनीय है कि कोच्ची-म्युज़िरिस बिएनाले के सह-संस्थापक और सचिव रियाज कोमु के मीटू हैशटैग की चपेट में आते ही बिएनाले फाउंडेशन की मैनेजिंग कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें रियाज कोमु को तत्काल प्रभाव से सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया, और इस तरह मीटू हैशटैग अभियान से हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश की गई; लेकिन 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने ठीक विपरीत आचरण किया है और इस तरह एक महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी असंवेदनशीलता और गैरजिम्मेदार व्यवहार को दिखाया है । इस कारण से सुबोध गुप्ता के साथ-साथ 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजक भी आरोपों के निशाने पर आ गए हैं । 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के शुरू होने के ठीक पहले उठा यह मामला इसलिए भी दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इसके चलते एक बड़े और बहुआयामी फेस्टिबल की प्रस्तुतियों से ध्यान भटक गया है, और फेस्टिबल की पहचान व छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है । इस तरह 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' का क्यूरेटर बनना हाई प्रोफाइल ऑर्टिस्ट सुबोध गुप्ता के लिए खासा फजीहतभरा साबित हुआ है ।

Comments

  1. मीडिया, सोशल मीडिया और कलाकारों के बीच खासी फजीहत झेलने के बाद सुबोध गुप्ता पर यौन उत्पीड़न के लगे आरोपों पर अंततः सुबोध गुप्ता और 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने अपनी चुप्पी तोड़ी है और अपना अपना मुँह खोला है । सुबोध गुप्ता ने अपनी सहयोगी रही महिलाओं के आरोपों को 'झूठा' तथा 'मनगढंत' बताया है, जबकि 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने आरोपों को देखते हुए सुबोध गुप्ता को फेस्टिबल के क्यूरेटर पद से हटा दिया है, और बताया है कि सुबोध गुप्ता किसी भी रूप में फेस्टिबल में शामिल नहीं होंगे ।

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