सुबोध गुप्ता पर लगे यौन छेड़छाड़ के आरोपों पर विदेशी गैलरीज द्वारा दिखाए रवैये ने सुबोध गुप्ता के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है और कला बाजार में अपनी हैसियत को बचा पाना उनके लिए बड़ी चुनौती बना है

मीटू हैशटैग अभियान के चलते यौन उत्पीड़न के आरोपों के घेरे में आने वाले हाई प्रोफाइल ऑर्टिस्ट सुबोध गुप्ता के बाजार को बचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं, और इस मामले में पाब्लो पिकासो से जुड़े किस्सों का हवाला देकर मामले को 'हल्का' करने का प्रयास किया जा रहा है । एक वरिष्ठ महिला कला समीक्षक व क्यूरेटर ने बेहद 'चालाकी' से लिखे लेख में विस्तार से बताया है कि पिकासो अपनी प्रेमिकाओं के साथ बहुत ही खराब व्यवहार किया करते थे और महिलाओं के प्रति बहुत ही नकारात्मक विचार रखते थे, लेकिन फिर भी उनकी कृतियों के दामों पर कभी भी संकट नहीं आया और वह हमेशा ही लगातार बढ़ते गए हैं । पिकासो के व्यवहार और उनकी बातों के जरिये अप्रत्यक्ष रूप से सुबोध गुप्ता का बचाव करने की कोशिशों के बावजूद वह कला बाजार में सुबोध गुप्ता की हैसियत के बने रहने को लेकर हालाँकि आश्वस्त नहीं हैं, और उन्होंने मामले को 'समय' पर छोड़ दिया है । दरअसल वह भी समझ रही हैं कि पिकासो और सुबोध गुप्ता का मामला एक जैसा नहीं है : पिकासो की बदतमीजियों के उदाहरण उन महिलाओं के साथ के हैं, जो उनके साथ संबंधों में रहीं; जबकि सुबोध गुप्ता पर अपने सहयोगियों व सहकर्मियों के साथ बदतमीजी करने के आरोप हैं । घर/परिवार और रिश्ते में महिलाओं के साथ बदतमीजी करने के आरोपी तथा सड़क चलते महिलाओं के साथ छेड़खानी करने के आरोपी की सामाजिक स्वीकार्यता में अंतर तो होगा ही । सुबोध गुप्ता पर जिस तरह के आरोप लगे हैं, जिन्हें हालाँकि उन्होंने झूठा और मनगढंत बताया है, वह खासे गंभीर हैं और उनके साथ काम करने वाली महिलाओं को डराते तथा लज्जित व अपमानित करते हैं ।
यौन उत्पीड़न के आरोपों के घेरे में आने के बाद कला बाजार में सुबोध गुप्ता की स्थिति/हैसियत के बने रहने को लेकर जो संशय प्रकट किए जा रहे हैं, वह किसी नैतिक आदर्शों से प्रेरित नहीं हैं । कला बाजार की थोड़ी-बहुत जानकारी रखने वाले लोग भी जानते हैं और कहते हैं कि कला का देशी/विदेशी बाजार कोई ऐसे नैतिकतावादी लोगों के नियंत्रण में नहीं है कि यौन उत्पीड़न के आरोपी कलाकार के काम से वह हाथ खींच लें । फिल्म उद्योग चूँकि जनभावनाओं के सहारे/भरोसे रहता है, इसलिए वहाँ किसी अभिनेता के यौन उत्पीड़न के आरोपों में फँसने से उसका कैरियर खराब हो सकता है, लेकिन कला बाजार का जन भावनाओं से कोई लेना/देना ही नहीं होता है - इसलिए वहाँ किसी कलाकार की सामाजिक बदनामी बाजार के नजरिये से कोई असर नहीं डालती है । लेकिन फिर भी, कला बाजार में सुबोध गुप्ता की हैसियत के बने रहने को लेकर यदि संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं, तो यह उनके काम की मार्केटिंग करने वाली विदेशी गैलरियों के व्यवहार के कारण हो रहा है । 'सीन एंड हर्ड' के इंस्टाग्राम एकाउंट में आरोप सामने आने के बाद के घटनाक्रम को यदि देखें तो सुबोध गुप्ता और उनके भारतीय 'साथियों' ने शुरु में आरोपों की परवाह न करने वाला रवैया 'दिखाया', लेकिन जैसे ही उनसे जुड़ी विदेशी गैलरीज के प्रबधकों की तरफ से मामले में नाराजगी भरे व विरोध जताते बयान सामने आए - वैसे ही सुबोध गुप्ता और उनके भारतीय 'साथियों' के बीच खलबली मच गई और तब उन्होंने आरोपों पर रिएक्ट किया । सुबोध गुप्ता ने आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें झूठा और मनगढंत बताया, लेकिन आरोपों की नाजुकता व संवेदनशीलता को देखते/समझते हुए 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने उन्हें फेस्टिवल के क्यूरेटर पद से हटा दिया और यह घोषणा भी की कि सुबोध गुप्ता फेस्टिबल में किसी भी रूप में नहीं शामिल होंगे ।
सुबोध गुप्ता और 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' के आयोजकों ने पहले जबकि आरोपों को लेकर चुप रहने का फैसला किया था । 'सीन एंड हर्ड' में आरोप आने के बाद मीडिया की तरफ से सुबोध गुप्ता, 'सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फेस्टिबल 2018' की आयोजक संस्था सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फाउंडेशन के पदाधिकारियों तथा भारत में सुबोध गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने वाली नेचर मोर्ते गैलरी के पदाधिकारियों से बार-बार उनका पक्ष लेने/जानने का प्रयास किया गया, लेकिन यह लोग मुँह में दही जमाये बैठे रहे । सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फाउंडेशन की तरफ से किसी किसी को जबाव मिला भी तो यह कि वह इस मामले में कोई बयान नहीं देंगे । हालात लेकिन तब बदल गए जब सुबोध गुप्ता पर लगे आरोपों की चर्चा विदेशी कला क्षेत्र के लोगों के बीच भी होने लगी और विश्व कला बाजार में सुबोध गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने वाली गैलरी हौसर एंड विर्थ ने मामले में संज्ञान लिया और उसकी तरफ से दो टूक घोषणा की गई कि वह इस तरह के व्यवहार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे । हौसर एंड विर्थ का मुख्यालय ज्यूरिख में है तथा लंदन, न्यूयॉर्क, सॉमरसेट, लॉस एंजेल्स, हॉंगकॉंग तथा कुछेक अन्य जगहों पर उसकी ब्रांचेज हैं - जिससे जाहिर है कि अंतर्राष्ट्रीय कला बाजार में उसका खासा प्रभाव है । सुबोध गुप्ता का इटली की गैलरी कंटीनुआ से भी बिजनेस संबंध है; और कंटीनुआ के पदाधिकारियों ने भी सुबोध गुप्ता पर लगे आरोपों को गंभीरता से लिया और आरोपों को लेकर अपनी नाराजगी प्रकट की । इससे सुबोध गुप्ता को तगड़ा झटका लगा और उन्होंने समझ लिया कि आरोपों पर चुप्पी साध कर काम चलने वाला नहीं है - और तब आरोपों को झूठा व मनगढंत बताते हुए उन्होंने मुँह खोला और सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फाउंडेशन तथा नेचर मोर्ते ने भी आवश्यक कार्रवाई की । 
सुबोध गुप्ता और उनके साथियों ने यौन छेड़छाड़ के आरोपों को तो गंभीरता से नहीं लिया था और मान लिया था कि इन आरोपों को लेकर होने वाला शोर-शराबा कुछेक दिनों में अपने आप थम जायेगा; लेकिन हौसर एंड विर्थ तथा कंटीनुआ जैसी गैलरीज के रवैये ने सुबोध गुप्ता के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है । कला बाजार के लोगों को शक है कि हौसर एंड विर्थ तथा कंटीनुआ ने सुबोध गुप्ता के मामले में जिस तरह से रिएक्ट किया है, वह कोई सामान्य बात नहीं है - और लग रहा है कि उनके और सुबोध गुप्ता के बीच रिश्ते पहले जैसे सहज नहीं रह गए हैं । उनकी प्रतिक्रिया आने के बाद सेरेण्डिपिटी ऑर्ट फाउंडेशन तथा नेचर मोर्ते गैलरी ने भी जिस तरह से पलटी मारी, और सुबोध गुप्ता से एकदम से दूरी बना ली - उससे भी कला बाजार में सुबोध गुप्ता की हैसियत के बने रहने पर सवाल खड़े हुए हैं । कला बाजार के लोगों को लगता है कि यौन छेड़छाड़ के आरोपों के कारण विदेशी गैलरीज ने जो रवैया दिखाया है, उसने सुबोध गुप्ता के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है और कला बाजार में अपनी हैसियत को बचा पाना उनके लिए बड़ी चुनौती है ।

Comments

  1. Sorry to know while going through such a long report that 'atyantik' has failed to express his any opinion on this issue. May be you too are afraid of any commercial cuts.
    Recently while in New York, I was drawn by an article in New York Times in which it was stated that why Art Critics there only write good reports of the Exhibitions held in the commercial galleries there. The Art Critic is afraid that if he gives negative report, Gallery would not call him next time to cover their shows and this way he would loose his market.
    Sorry if you feel offended by my remarks.
    S.K.Sahni

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