अनुपम रॉय को 'इमर्जिंग ऑर्टिस्ट अवॉर्ड'

ऐसे समय में जबकि चित्रकार, 
खासकर युवा चित्रकार राजनीतिक प्रसंगों/मुद्दों को 
अपने चित्रों का विषय बनाने से बचते हैं, 
33 वर्षीय अनुपम रॉय का वर्ष 2018 के लिए 
'इमर्जिंग ऑर्टिस्ट अवॉर्ड' के लिए 
चुना जाना उल्लेखनीय और समयानुकूल लगता है । 
अनुपम रॉय को अपने चित्रों में 'सिस्टम की हिंसा और अन्याय' को 
प्रमुखता से अभिव्यक्त करने के लिए इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है । 
स्विट्जरलैंड की स्विस ऑर्ट्स काउंसिल के सहयोग से प्रत्येक वर्ष 
फाउंडेशन फॉर इंडियन कंटेम्पररी ऑर्ट द्वारा 
भारत में दृश्य कला में अध्ययनरत व अभ्यासरत 
युवा कलाकारों को कला के प्रति उनके समर्पण व उनकी प्रतिभा को 
प्रोत्साहित करने के लिए यह अवॉर्ड दिया जाता है । 
चित्रकार मनीषा पारेख, चित्रकार व शिक्षाशास्त्री राखी पेसवानी, 
कला इतिहासकार व क्यूरेटर लतिका गुप्ता तथा 
स्विस ऑर्टिस्ट शिराना शहबाजी की चार सदस्यीय ज्यूरी ने 
अवॉर्ड के लिए आए करीब 300 आवेदनों/प्रस्तावों में 
अनुपम रॉय को अवॉर्ड के लिए चुना । 
अधिकृत रूप से बताया गया है कि 
ज्यूरी सदस्य अनुपम के चित्रों में अभिव्यक्त होने वाले 
राजनीतिक संदेशों से तथा 
ग्रासरूट की राजनीति से उनके चित्रों के जुड़ाव से 
खासे प्रभावित हुए । 
अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोच्ची, दिल्ली, मॉन्ट्रियल व न्यूयॉर्क में 
अपने चित्रों को प्रदर्शित कर चुके 
अनुपम ने पश्चिम बंगाल के बंगाल फाईन ऑर्ट्स कॉलिज व 
दिल्ली के अम्बेडकर विश्विद्यालय से कला की पढ़ाई की है । 
पंजाब के मनसा में पिछले दिनों आयोजित हुई 
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एमएल) लिबरेशन की 
दसवीं पार्टी कांग्रेस में साज-सज्जा करने के साथ-साथ 
अनुपम ने अपने चित्रों व कविता पोस्टरों को भी प्रदर्शित किया था । 

अनुपम की प्रतिबद्धता को सलाम और अवॉर्ड के लिए उन्हें बहुत बधाई ! 







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