नज़र ऑर्ट गैलरी बंद हुई !
एक आयोजन के सिलसिले में बडोदरा की प्रमुख ऑर्ट गैलरी
नज़र
से संपर्क करने की कोशिश की तो पता चला कि
अभी हाल ही में उसे बंद कर दिया गया है;
बताया गया कि हम यदि कुछ दिन पहले संपर्क करते तो गैलरी कुछ दिन और खुली रह जाती ।
यह जानकार गहरा धक्का लगा ।
यूँ तो कई ऑर्ट गैलरीज को बंद होते हुए देखा है,
लेकिन बडोदरा की नज़र ऑर्ट गैलरी के बंद होने की सूचना ने बड़ा नुकसान होने जैसा अहसास कराया ।
बडोदरा में हालाँकि बहुत से ऑर्ट सेंटर हैं,
जहाँ स्थानीय कला गतिविधियों के साथ-साथ देश-विदेश की समकालीन कला
और उसके रुझानों से परिचित होने का मौका मिल जाता है -
लेकिन नज़र ऑर्ट गैलरी आसान पहुँच और व्यापक सक्रियता के कारण
बाहर से बडोदरा जाने/पहुँचने वाले
मेरे जैसे लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र थी ।
देश के आधुनिक मूर्तिशिल्पियों में एक अलग स्थान रखने वाले
नागजी पटेल ने इसकी स्थापना की थी ।
बडोदरा के ही एक गाँव में जन्मे और बडोदरा के
एमएस विश्वविद्यालय से मूर्तिशिल्प की डिग्री प्राप्त करने तथा
देश-विदेश में जगह-जगह काम करते रहने के बावजूद बराबर
बडोदरा लौटते रहने के कारण
नागजी पटेल का बडोदरा के कला-जगत से जो गहरा जुड़ाव बना और रहा,
उसके कारण भी नज़र ऑर्ट गैलरी को व्यापक पहचान और प्रतिष्ठा मिली ।
बडोदरा मैं तीन बार गया हूँ - पहली बार संयोगवश नज़र ऑर्ट गैलरी जाना हुआ;
उसके डिजाइन और कलाकृतियों की प्रस्तुति की उसकी व्यवस्था ने
इस कदर आकर्षित और प्रभावित किया कि
उसके बाद जब भी बडोदरा जाना हुआ,
तो नज़र ऑर्ट गैलरी ऐसे गया जैसे तीर्थस्थान जाया जाता है ।
पिछली 16 दिसंबर को जब नागजी पटेल के शरीर छोड़ने की
खबर मिली थी, तो नज़र ऑर्ट गैलरी के भविष्य को लेकर
आशंका तो हुई थी - लेकिन नागजी पटेल के निधन के बाद
यहाँ गौतम हेम्मदी, इरा चौधरी, रश्मि माला, शिव वर्मा आदि के
काम की जिस व्यवस्थित तरीके से प्रदर्शनियाँ आयोजित होते हुए देखी/सुनी -
उससे लग रहा था कि नज़र ऑर्ट गैलरी अभी चलेगी ।
इसलिए अकस्मात इसके बंद होने की खबर ने
मुझे उदास किया है ।
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