केशव मलिक अवार्ड को प्रायोजित करके सुरेखा सदाना ने दिखाया/बताया है कि कलाकारों की कद्र करना जरूरी है
ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी प्रख्यात कला समीक्षक केशव
मलिक के नाम पर एक अवार्ड स्थापित करने जा रही है । सोसायटी के कार्यकारी
अध्यक्ष परमजीत सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि इस संबंध में
आवश्यक औपचारिकताएँ पूरी की जा रही हैं और इस बारे में जल्दी ही आधिकारिक
घोषणा कर दी जायेगी । कला क्षेत्र में केशव मलिक के नाम पर यह पहला अवार्ड
होगा । केशव मलिक के नाम पर स्थापित होने वाले इस अवार्ड को समकालीन भारतीय
कला क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना रहीं युवा चित्रकार सुरेखा सदाना ने
प्रायोजित किया है । केशव मलिक की कला संबंधी विद्धता और प्रतिभा, कला
क्षेत्र में उनकी सक्रियता और कलाकारों के प्रति उनकी सहृदयता को देख कर
सुरेखा सदाना इतना प्रभावित हुईं कि उनके लिए कुछ करने को उत्सुक हुईं ।
इसी उत्सुकता में केशव मलिक के नाम पर अवार्ड स्थापित करने का आईडिया
उन्हें सूझा ।
अन्य कलाकारों की कला प्रदर्शनियों के उद्घाटन के मौकों पर केशव मलिक को देखने-सुनने-जानने का अवसर यूँ तो सुरेखा सदाना को पिछले कई वर्षों से मिला, लेकिन नजदीक से जानने का मौका उन्हें वर्ष 2008 में उस समय मिला जब अपनी पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी के उद्घाटन के लिए उन्हें राजी करने तथा कैट्लॉग के लिए अग्रलेख लिखवाने के लिए वह उनसे मिलीं । केशव मलिक के कला संबंधी ज्ञान की गहराई और व्यापकता को तथा कला क्षेत्र में उनकी बहुआयामी सक्रियता को देख/जान कर सुरेखा सदाना जहाँ अचंभित हुईं, वहाँ उनके व्यवहार की सरलता ने सुरेखा सदाना को अभिभूत किया । पिछले वर्ष मुंबई में आयोजित हुई अपनी पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी के पहले सुरेखा सदाना जब केशव मलिक से करीब चार वर्ष बाद फिर मिलीं तो केशव मलिक के व्यक्तित्व का उन पर पड़ा प्रभाव और समृद्ध हुआ । तभी सुरेखा सदाना के मन में केशव मलिक के लिए कुछ करने का - उनके नाम पर अवार्ड स्थापित करने का विचार कौंधा ।
केशव मलिक की खूबियों के प्रति आभार व्यक्त करने का सुरेखा सदाना का यह तरीका एक अद्भुत परिदृश्य बनाता है । ऐसे समय में, जबकि हर कोई अपने आपको आगे बढ़ाने और अपने आप को स्थापित करने की होड़ में शामिल है - सुरेखा सदाना ने अपने बारे में नहीं, केशव मलिक के बारे में सोचा तथा एक तरफ जहाँ केशव मलिक को उनका वाजिब हक़ दिलवाने की कार्यवाई की वहाँ दूसरी तरफ ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी को केशव मलिक अवार्ड स्थापित करने का गौरव प्रदान किया । ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी के प्रायोजित अवार्ड्स में 'केशव मलिक अवार्ड' पहला ऐसा अवार्ड होगा जो परिवारिक सदस्य के बजाये एक प्रशंसक के द्धारा प्रायोजित किया गया है ।
यहाँ यह रेखांकित करना प्रासंगिक होगा कि सुरेखा सदाना को सलाह दी गई थी कि केशव मलिक अवार्ड के लिए वह स्वयं ही एक ट्रस्ट बना लें और खुद ही अवार्ड संबंधी फैसले करें - जिससे उनका भी नाम होगा । सुरेखा सदाना ने लेकिन स्पष्ट कर दिया कि केशव मलिक अवार्ड के नाम पर उन्हें अपना स्वयं का प्रमोशन करने की कोई जरूरत नहीं है और इसीलिए उन्होंने ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी में अवार्ड प्रायोजित करने को वरीयता दी । केशव मलिक अवार्ड को प्रायोजित करके सुरेखा सदाना ने दिखाया/बताया है कि कलाकारों की कद्र करना जरूरी है क्योंकि वह समाज की सबसे मूल्यवान धरोहर हैं । खुद एक कलाकार होते हुए सुरेखा सदाना ने ऐसा किया - यह सुरेखा सदाना की कला के प्रति निर्विकल्प निष्ठा का सुबूत ही है ।
अन्य कलाकारों की कला प्रदर्शनियों के उद्घाटन के मौकों पर केशव मलिक को देखने-सुनने-जानने का अवसर यूँ तो सुरेखा सदाना को पिछले कई वर्षों से मिला, लेकिन नजदीक से जानने का मौका उन्हें वर्ष 2008 में उस समय मिला जब अपनी पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी के उद्घाटन के लिए उन्हें राजी करने तथा कैट्लॉग के लिए अग्रलेख लिखवाने के लिए वह उनसे मिलीं । केशव मलिक के कला संबंधी ज्ञान की गहराई और व्यापकता को तथा कला क्षेत्र में उनकी बहुआयामी सक्रियता को देख/जान कर सुरेखा सदाना जहाँ अचंभित हुईं, वहाँ उनके व्यवहार की सरलता ने सुरेखा सदाना को अभिभूत किया । पिछले वर्ष मुंबई में आयोजित हुई अपनी पेंटिंग्स की एकल प्रदर्शनी के पहले सुरेखा सदाना जब केशव मलिक से करीब चार वर्ष बाद फिर मिलीं तो केशव मलिक के व्यक्तित्व का उन पर पड़ा प्रभाव और समृद्ध हुआ । तभी सुरेखा सदाना के मन में केशव मलिक के लिए कुछ करने का - उनके नाम पर अवार्ड स्थापित करने का विचार कौंधा ।
केशव मलिक की खूबियों के प्रति आभार व्यक्त करने का सुरेखा सदाना का यह तरीका एक अद्भुत परिदृश्य बनाता है । ऐसे समय में, जबकि हर कोई अपने आपको आगे बढ़ाने और अपने आप को स्थापित करने की होड़ में शामिल है - सुरेखा सदाना ने अपने बारे में नहीं, केशव मलिक के बारे में सोचा तथा एक तरफ जहाँ केशव मलिक को उनका वाजिब हक़ दिलवाने की कार्यवाई की वहाँ दूसरी तरफ ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी को केशव मलिक अवार्ड स्थापित करने का गौरव प्रदान किया । ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी के प्रायोजित अवार्ड्स में 'केशव मलिक अवार्ड' पहला ऐसा अवार्ड होगा जो परिवारिक सदस्य के बजाये एक प्रशंसक के द्धारा प्रायोजित किया गया है ।
यहाँ यह रेखांकित करना प्रासंगिक होगा कि सुरेखा सदाना को सलाह दी गई थी कि केशव मलिक अवार्ड के लिए वह स्वयं ही एक ट्रस्ट बना लें और खुद ही अवार्ड संबंधी फैसले करें - जिससे उनका भी नाम होगा । सुरेखा सदाना ने लेकिन स्पष्ट कर दिया कि केशव मलिक अवार्ड के नाम पर उन्हें अपना स्वयं का प्रमोशन करने की कोई जरूरत नहीं है और इसीलिए उन्होंने ऑल इंडिया फाइन ऑर्ट्स एण्ड क्रॉफ्ट्स सोसायटी में अवार्ड प्रायोजित करने को वरीयता दी । केशव मलिक अवार्ड को प्रायोजित करके सुरेखा सदाना ने दिखाया/बताया है कि कलाकारों की कद्र करना जरूरी है क्योंकि वह समाज की सबसे मूल्यवान धरोहर हैं । खुद एक कलाकार होते हुए सुरेखा सदाना ने ऐसा किया - यह सुरेखा सदाना की कला के प्रति निर्विकल्प निष्ठा का सुबूत ही है ।
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